Bible

Engage

Your Congregation Like Never Before

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

1 Thessalonians 2

:
Hindi - CLBSI
1 भाइयो और बहिनो! आप स्‍वयं जानते हैं कि आप लोगों के यहाँ हमारा आगमन व्‍यर्थ नहीं हुआ।
2 आप जानते हैं कि हमें कुछ समय पहले फिलिप्‍पी नगर में दुर्व्यवहार और अपमान सहना पड़ा था। फिर भी हमने अपने परमेश्‍वर पर भरोसा रख कर, घोर विरोध का सामना करते हुए, निर्भीकता से आप लोगों के बीच परमेश्‍वर के शुभ समाचार का प्रचार किया।
3 हमारा आग्रह तो भ्रम पर आधारित है, दूषित अभिप्राय से प्रेरित है और उस में कोई छल-कपट है।
4 परमेश्‍वर ने हमें योग्‍य समझ कर शुभ समाचार सौंपा है। इसलिए हम मनुष्‍यों को नहीं, बल्‍कि हमारा हृदय परखनेवाले परमेश्‍वर को प्रसन्न करने के लिए उपदेश देते हैं।
5 आप लोग जानते हैं और परमेश्‍वर भी इसका साक्षी है कि हमारे मुख से चाटुकारी की बातें कभी नहीं निकलीं और हमने लोभ से प्रेरित हो कर कुछ किया।
6 हमने मनुष्‍यों का सम्‍मान पाने की चेष्‍टा नहीं की- आप लोगों का सम्‍मान और दूसरों का -
7 यद्यपि हम मसीह के प्रेरित होने के नाते अपना अधिकार जता सकते थे। किन्‍तु हम आपके मध्‍य बालकों के समान विनम्र बन कर रहे। अपने बच्‍चों का लालन-पालन करनेवाली माता की तरह हमने आप लोगों के साथ ममतापूर्ण व्‍यवहार किया।
8 आपसे हमारा अनुराग तथा हमारा प्रेम यहाँ तक बढ़ गया था कि हम आप को परमेश्‍वर के शुभ समाचार के साथ अपना जीवन भी अर्पित करना चाहते थे।
9 भाइयो और बहिनो! आप को हमारा कठोर परिश्रम याद होगा। आप के बीच परमेश्‍वर के शुभ समाचार की घोषणा करते समय हम दिन-रात काम-धन्‍धा करते रहे, जिससे किसी पर भार डालें।
10 आप, और परमेश्‍वर भी, इस बात के साक्षी हैं कि आप विश्‍वासियों के साथ हमारा आचरण कितना पवित्र, धार्मिक और निर्दोष था।
11 आप जानते हैं कि हम पिता की तरह आप में से प्रत्‍येक को
12 उपदेश और सान्‍त्‍वना देते और अनुरोध करते थे कि आप उस परमेश्‍वर के योग्‍य जीवन बितायें, जो आप को अपने राज्‍य की महिमा के लिए बुलाता है।
13 हम इसलिए निरन्‍तर परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देते हैं कि जब आपने हम से परमेश्‍वर का सन्‍देश सुना और ग्रहण किया, तो आपने उसे मनुष्‍यों का वचन नहीं, बल्‍कि- जैसा कि वह वास्‍तव में है- परमेश्‍वर का वचन समझ कर स्‍वीकार किया और यह वचन अब आप विश्‍वासियों में क्रियाशील है।
14 भाइयो और बहिनो! आप लोगों ने यहूदा प्रदेश में स्‍थित परमेश्‍वर की कलीसियाओं का अनुकरण किया है, जो येशु मसीह में हैं, क्‍योंकि आप को अपने सजातीय लोगों से वही दुर्व्यवहार सहना पड़ा, जो उन्‍होंने यहूदा-वासियों से सहा है।
15 उन यहूदियों ने प्रभु येशु तथा नबियों का वध किया और हम पर घोर अत्‍याचार किया। वे परमेश्‍वर को अप्रसन्न करते हैं और सब मनुष्‍यों के विरोधी हैं,
16 क्‍योंकि वे गैर-यहूदियों को मुक्‍ति का सन्‍देश सुनाने से हमें रोकना चाहते हैं और इस प्रकार वे अपने पापों का घड़ा निरन्‍तर भरते जाते हैं और अब परमेश्‍वर का क्रोध उनके सिर पर पड़ा है।
17 भाइयो और बहिनो! जब हम कुछ समय के लिए आप लोगों के प्रेम से नहीं, बल्‍कि आपके दर्शनों से वंचित थे, तो हमारी आप से फिर मिलने की अभिलाषा और बढ़ती गई।
18 इसलिए हमने, विशेषकर मैं पौलुस ने, बार-बार आप के यहाँ आना चाहा, किन्‍तु शैतान ने हमारा रास्‍ता रोक दिया।
19 जब हम अपने प्रभु येशु के आगमन पर उनके सामने खड़े होंगे, तो आप लोगों को छोड़ कर हमारी आशा या आनन्‍द या गौरवपूर्ण मुकुट और क्‍या हो सकता है?
20 हमारा गौरव और आनन्‍द तो आप लोग ही हैं।